અધ્યાય ૧૩ – શ્લોક ૧૯,૨૦ – ગીતાજી
જય શ્રી કૃષ્ણ … શ્લોક ની છબી લોડ થઈ રહી છે….
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TheGita – Chapter 13 – Shloka 19,20
Shloka 19,20
You must know that nature and spirit are both without being, and know also that all modifications and qualities are born of nature.
प्रकृति और पुरुष —इन दोनों को ही तू अनादि जान । और राग-द्बेषादि विकारों को तथा त्रिगुणात्मक सम्पूर्ण पदार्थों को भी प्रकृति से ही उत्पन्न जान ।। १९ ।।
Both the effect and the cause are generated from nature, and the spirit (soul) is the cause in the experience of pain and pleasure.
कार्य और करण को उत्पन्न करने में हेतु प्रकृति कही जाती है और जीवात्मा सुख-दुःखो के भोक्तापन में अर्थात् भोगने में हेतु कहा जाता है ।। २० ।।
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|| જય શ્રી કૃષ્ણ ||